Wednesday, January 30, 2019

महाराष्ट्र: अंबेडकर के अल्टीमेटम का आज आखिरी दिन, क्या प्रकाश से छूटेगा 'पंजा'?

महाराष्ट्र में 2019 लोकसभा और विधानसभा चुनाव की लड़ाई दिलचस्प होती जा रही है. शिवसेना-बीजेपी के बीच गठबंधन को लेकर अंदरखाने बात चल रही है, लेकिन अभी तक सहमति नहीं बन सकी है. वहीं, कांग्रेस-राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के बीच गठबंधन तय है. इतना ही नहीं, दलितों को साधने के लिए कांग्रेस संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर के पोते प्रकाश अंबेडकर को गठबंधन का हिस्सा बनाने की कवायद में है, लेकिन अभी तक बात नहीं बन सकी है. प्रकाश अंबेडकर ने गठबंधन करने के लिए कांग्रेस को आज यानी बुधवार तक का अल्टीमेटम दिया है. 

सूत्रों की मानें तो महाराष्ट्र की कुल 48 लोकसभा सीटों में से कांग्रेस के 26 और एनसीपी 22 सीटों पर चुनाव लड़ने की सहमति बनती दिख रही है. ऐसे में प्रकाश अंबेडकर की पार्टी के लिए सीटों की गुंजाइश मुश्किल लग रही है. सूत्रों के मुताबिक प्रकाश चाहते हैं कि उनकी पार्टी को विधानसभा चुनाव के लिए 12 सीटें मिलें. इसके लिए उन्होंने कांग्रेस को बुधवार तक के निर्णय लेने के लिए अल्टीमेटम दे रखा है.

सूत्रों के मुताबिक महाराष्ट्र कांग्रेस संसदीय बोर्ड की मंगलवार को बैठक हुई. इसमें मराठवाड़ा, उत्तर महाराष्ट्र, पश्चिम महाराष्ट्र से उम्मीदवारों के नामों पर चर्चा भी हुई. विदर्भ और मुंबई के लिए बुधवार को मंथन हो रहा है.

दरअसल, आरपीआई के अध्यक्ष रामदास आठवले के बीजेपी के साथ जाने के बाद प्रकाश अंबेडकर को कांग्रेस अपने साथ लाना चाहती है. महाराष्ट्र में कांग्रेस, एनसीपी और राजू शेट्टी की स्वाभिमानी शेतकारी संगठन गठबंधन के लिए राजी है, लेकिन प्रकाश अंबेडकर की पार्टी भारिप बहुजन महासंघ को लेकर अभी बात नहीं बन सकी है.

प्रकाश अंबेडकर ने पिछले हफ्ते ही कांग्रेस से मांग की थी कि वंचित बहुजन आघाडी पार्टी को 12 विधानसभा सीटें दी जाएं ताकि उनकी पार्टी 2 सीट माली समाज को, 2 सीट धनगर समाज, 2 सीट मुस्लिम समाज, 2 सीट अन्य पिछड़ा वर्ग के तहत आने वाली जातियों और 2 सीट घूमंतु जाति-जनजाति के उम्मीदवारों को उतार सके.

तमाम प्रयासों के बावजूद गंगा सफाई पर अब भी सवाल उठ रहे हैं. गंगा की सफाई के लिए सरकार के प्रयासों का मूल्यांकन करने वाली एक संसदीय समिति ने हाल ही में एक रिपोर्ट सौंपी है. इस रिपोर्ट में बताया गया है कि गंगा सफाई के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदम पर्याप्त नहीं हैं. वहीं नेशनल ग्रीन ट्रिब्‍यूनल भी गंगा की सफाई को लेकर सरकार को फटकार लगा चुका है. पिछले साल 112 दिन तक अनशन पर बैठने वाले पर्यावरणविद् प्रोफेसर जीडी अग्रवाल उर्फ स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद ने अपना जीवन गंगा की सफाई के लिए ही दे दिया था. 

सरकार को पता नहीं कितनी साफ हुई गंगा!

बीते साल गंगा की सफाई को लेकर एक आरटीआई अर्जी दायर की गई. इस आरटीआई का सरकार की ओर से जो जवाब मिला वो बेहद हैरान करने वाला था. सरकार ने तब कहा कि उसे पता ही नहीं, गंगा अब तक कितनी साफ हुई है. आरटीआई में खुलासा हुआ कि सरकार के पास कोई ऐसे आंकड़े नहीं हैं जिससे यह गंगा की सफाई का पता चल सके.

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