Wednesday, July 31, 2019

बोरिस जॉनसन- ब्रिटेन के नए प्रधानमंत्री की कहानी

ये साल 2002 के जाड़े के दिनों की बात है, मैंने हेनले के कंज़र्वेटिव पार्टी के सिलेब्रिटी सांसद को फ़ोन पर अपना सुझाव दिया.

कुछ मिनटों के विनम्र अनुरोध के बाद उन्होंने अपना मन बदलते हुए भरोसा दिया, "ठीक है मैं आपसे लड़ूंगा." जॉनसन ने आगे कहा, "लेकिन आपको वादा करना होगा कि आप मेरी नाक नहीं तोड़ेंगे."

मैंने वादा किया कि आपकी नाक नहीं तोडूंगा. मुझे बीबीसी 2 पर सिलेब्रिटी बॉक्सिंग के लाइव प्रसारण में शामिल होने के लिए नियुक्त किया गया था.

हालांकि, ब्रिटिश बॉक्सिंग कंट्रोल बोर्ड ने मुझसे और बोरिस जॉनसन (के उस थोड़े समय से जिसमें उन्होंने लड़ाई के लिए रजामंदी दी थी) से ज्यादा समझदारी दिखाई. बॉक्सिंग अधिकारियों को महसूस हुआ कि बिना किसी प्रशिक्षण के दो मुक्केबाज़ों की ये हाई प्रोफाइल लेकिन शौकिया भिड़ंत लापरवाही और ग़ैर ज़िम्मेदारी भरी होगी. लड़ाई रद्द कर दी गई.

हालांकि ऐसा नहीं भी होता तो भी जॉनसन इस लड़ाई से खुद को बाहर कर लेते. हालांकि ऐसा वे साहस की कमी के चलते नहीं करते. मैंने ब्रिटेन के इस नेता के बारे में जितना देखा है, सुना और पढ़ा है उससे यही पता चलता है कि बोरिस को शारीरिक, राजनीतिक और सामाजिक जोख़िम लेने में बहुत डर नहीं लगता है.

निश्चित तौर पर वे जोखिम लेना पसंद करते होंगे, वे मैदान छोड़ने वालों में नहीं हैं.

किसी दोस्त या सहकर्मी को जब अचानक से वो कोई चुनौती देते हैं तो वे बोलते हैं- मैन या माउस. चाहे उनके ऑफिस टेबल पर ये कानाफूसी वाला चैंलेंज हो या फिर कोई तेज प्रतिस्पर्धा ही हो.

हाल ही में डेली मेल को दिए गए अपने इंटरव्यू में उन्होंने अपने फेवरिट बयान दिया है- लड़ाई में कुत्ते की साइज नहीं देखी जाती है, लड़ाई कितनी देर चली ये अहम होता है.

बहरहाल, ना तो तब और ना ही बाद में, मैंने उनकी गरिमा की रक्षा के लिए किसी परंपरागत समझ का पता लगाया. हमने इसके उलट किया है. हमने जॉनसन को उचित ढंग से आमंत्रित किया था, हालांकि वे उसकी बहुत परवाह नहीं करते हैं. लेकिन उन्होंने जो किया, वह हास्यास्पद कहा जा सकता है, भले ही वो चैरेटी के लिए किया जा रहा ता लेकिन उन्होंने लाखों लोगों के सामने खुद को लाइव जोखिम में डालने का फैसला कर लिया था.

संयोग से, बहुत बाद में, लंदन के मेयर के तौर पर जॉनसन ने कथित तौर पर अपना दमखम डेविड कैमरन के सामने दिखाया था जब वो लंदन की परिवहन व्यवस्था के लिए उपलब्ध फंड के लिए एक दूसरे से भिड़ गए थे.

एंड्रूय गिम्सन ने अपनी किताब 'बोरिस' में लिखा है कि उस भिड़त के बाद दोनों ने अपनी जीत का दावा किया था. हम कभी सच नहीं जान सकते. लेकिन इससे जॉनसन और कैमरन के बीच की मित्रता के अंदर छुपी एक आपसी होड़ की झलक मिलती है.

देश की अर्थव्यव्स्था और दुनिया भर में ब्रिटेन की स्थिति को लेकर ये ब्रिटिश राजनीति के लिए बेहद अस्थिर और अनिश्चित दौर है. ऐसे समय में कंज़रर्वेटिव पार्टी ने ऐसे आदमी को अपना नेता बनाया है जो लगभग हर मानदंड को धता बताता आया है.

जॉनसन के रिकॉर्ड, फ़ैसलों और चरित्र का वस्तुनिष्ठ मूल्यांकन करने पर एक के बाद एक वैध संदेह उत्पन्न होता है.

हालांकि उनमें अपने सार्वजनिक जीवन में लोगों से कनेक्ट करने (हालांकि वे सब से नहीं मिलते हैं और हर वक्त मिलने के लिए उपलब्ध नहीं होते) और अपने और खुद के प्रति अच्छा महसूस कराने का ख़ास गुण है. वे ऐसे ही रहे हैं चाहे वो राष्ट्रीय आशावाद को लेकर फीलगुड का समय रहा हो या फिर कटु विभाजन का निराशा भरा दौर, जिसने उनको डाउनिंग स्ट्रीट में पहुंचाने में मदद की है.

लेकिन इससे भी बड़ी बात ये है कि बोरिस जॉनसन के चरित्र पर उनके आलोचक ही नहीं, उनके कुछ समर्थक भी भरोसा नहीं करते, बावजूद इसके उन्होंने खुद को सबसे भरोसेमंद नेता साबित किया है. उन्हें यूरोसेप्टिक टोरी पार्टी ने वादे के मुताबिक 31 अक्टूबर, 2019 ब्रेग़्जिट को पूरा करने के लिए अपना चयनकर्ता चुना है.

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