Friday, December 21, 2018

दिल्ली हाईकोर्ट का आदेश- दो हफ्ते में खाली करना होगा हेराल्ड हाउस

दिल्ली हाईकोर्ट ने नेशनल हेराल्ड के प्रकाशक को दो हफ्ते में हेराल्ड हाउस खाली करने का निर्देश दिया है। केंद्रीय भूमि एवं विकास प्राधिकरण ने 30 अक्टूबर को एसोसिएडेट जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) को बिल्डिंग खाली करने का आदेश दिया था। इसमें नेशनल हेराल्ड अखबार के प्रकाशक के द्वारा लीज नियमों के उल्लंघन की बात कही गई थी।

अखबार को प्रकाशित करने वाली कंपनी एजेएल ने इस आदेश हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। शुक्रवार को अदालत ने सुनवाई के दौरान एजेएल की याचिका खारिज कर दी। एजेएल ने 2008 में घाटे के वजह से नेशनल हेराल्ड का प्रकाशन बंद कर दिया था। भाजपा का आरोप है कि प्रकाशन शुरू करने के लिए गांधी परिवार ने हजारों करोड़ रुपए एजेएल के रियल एस्टेट कारोबार में लगाए हैं। 12 नवंबर को नेशनल हेराल्ड ने एक ट्वीट में कहा था कि अखबार डिजिटल क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है, इसलिए भाजपा उसे निशाना बना रही है।

राहुल-सोनिया के आयकर दस्तावेज की दोबारा जांच पर रोक नहीं
नेशनल हेराल्ड केस में हाईकोर्ट ने 11 सितंबर को राहुल गांधी और सोनिया गांधी के आयकर दस्तावेजों की दोबारा जांच पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। राहुल-सोनिया और कांग्रेस नेता ऑस्कर फर्नान्डीज की याचिका खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा था कि आयकर विभाग को टैक्स प्रक्रिया की दोबारा जांच करने का अधिकार है। अगर याचिकाकर्ताओं को कोई शिकायत है तो इसके लिए वे विभाग के पास जा सकते हैं।

स्वामी की शिकायत पर शुरू हुई थी जांच

भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने आयकर अधिकारियों से गांधी परिवार, सोनिया और राहुल गांधी को फायदा पंहुचाने की शिकायत की थी। आरोप था कि राहुल और सोनिया गांधी ने 2010 में यंग इंडिया लि. नाम से कंपनी बनाई और पंडित नेहरू द्वारा स्थापित एसोसिएट्स जर्नल लिमिटेड (एजेएल) की संपत्तियों को अधिग्रहित कर लिया। 2012 में स्वामी ने दावा किया था कि कांग्रेस ने नियमों का उल्लंघन कर एजेएल को 90 करोड़ रुपए कर्ज दिया था। 

8 मार्च 2016 को पशु विक्रेता मजलूम इम्तियाज खां और मजरुम अंसारी मवेशी खपरेलवर गांव से गुजर रहे थे। इसी दौरान कुछ लोगों ने दोनों को घेर लिया। भीड़ ने दोनों पर गो तस्करी का आरोप लगाते हुए पीट-पीट कर हत्या कर दी। हत्या के बाद शवों को रस्सी से बांधकर पेड़ से लटका दिया गया। मामले पर काफी बवाल हुआ। पुलिस ने 18 मार्च को ही 5 आरोपियों को गिरफ्तार किया। 22 मार्च 2016 को बाकी तीन आरोपियों ने भी सरेंडर कर दिया। विपक्ष ने इस मामले को संसद में भी उठाया।

अदालत ने जिन आरोपियों को सजा सुनाई है उनमें बालूमाथ थाना क्षेत्र के निवासी प्रमोद साव, शाहदेव सोनी, मिथिलेश साहू, अवधेश साव, मनोज साव, मनोज कुमार साव, विशाल तिवारी और अरुण साव शामिल हैं। अदालत में सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से बी साहू ने दलील पेश की।

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